नमस्कार भक्तजनों.. प्रेम से बोलिए बजरंग बली की जय। आज हम आपके लिए Maruti Stotra लाएं हैं। जब भी आपको इसका पाठ करना होता है तो आपको Maruti Stotra PDF जरूरत पड़ती है। ऐसे में हम आपको Maruti Stotra PDF डाउनलोड करने का डायरेक्ट लिंक प्रदान करेंगे। लेख के नीचे लिंक दिया गया जहां से आप अपने मोबाइल में इसे डाउनलोड कर सकते हैं।
Contents
- 1 Maruti Stotra PDF details
- 2 Maruti Stotra के बारे में
- 3 मारुती स्तोत्र के लाभ | Maruti Stotra PDF
- 4 मारुती स्तोत्र (Maruti Stotra) के पाठ की विधि
- 5 मारुती स्तोत्र (Maruti Stotra) किसने रचा था?
- 6 मारुती स्तोत्र (Maruti Stotra) कब करना चाहिए?
- 7 मारुती स्तोत्र का मंत्र (Maruti Stotra)
- 8 मारुति स्तोत्र इन हिंदी लिरिक्स| Maruti Stotra in Hindi
Maruti Stotra PDF details
PDF Name | Maruti Stotra |
No of Page | 4 page |
Categary | Religion |
Language | Hindi |
Credit | Multipal Source |
Website | bacpl.org |
Maruti Stotra के बारे में
मारुती स्तोत्र एक सिद्ध स्तोत्र है जो भगवान श्री हनुमान जी को समर्पित है। माना जाता है कि सत्रहवीं शताब्दी में इसकी रचना छत्रपति श्री शिवाजी महाराज के गुरु समर्थ गुरु रामदास ने की थी। हालांकि इसे लेकर विद्वानों में मतभेद है क्योंकि मारुती स्तोत्र के नाम से ही एक मराठी स्तोत्र भी उपलब्ध है।
कई लोगों का विचार है कि वह स्तोत्र समर्थ गुरु रामदास रचित है। इसकी महिमा का बखान शब्दों में करना असम्भव है। साधु-सन्त इसे तुरन्त सिद्धि प्रदान करने में सक्षम स्तोत्र मानते हैं। मारुती स्तोत्र के पाठ से प्रेत-बाधा समाप्त हो जाती है। सभी नौ ग्रह शान्त होकर अच्छा फल देने लगते हैं। ऐसा कोई भी कार्य नहीं जो बजरंगबली महाराज की कृपा से यह मारुती स्तोत्र सिद्ध न कर देता हो।
मारुती स्तोत्र के लाभ | Maruti Stotra PDF
- श्री मारुती स्तोत्र का पाठ करने से सभी कष्ट दूर हो जाते है।
- मारूती स्तोत्र का पाठ करने से सभी दुखों का अंत होता है।
- मारूती स्तोत्र बहुत ही चमत्कारी है।
- मारूती स्तोत्र का पाठ करने से शारीरिक रोग भी दूर होते है।
- श्री मारुती स्तोत्र का पाठ करने से सकरात्मक ऊर्जा मिलती है।
- श्री मारुती स्तोत्र का पाठ करने से हनुमान जी बहुत प्रसन होते है।
- मारुती स्तोत्र का पाठ करने से सुख और समृद्धि आती है।
मारुती स्तोत्र (Maruti Stotra) के पाठ की विधि
- श्री मारुती स्तोत्र का पाठ करने से हनुमान जी की विशेष कृपा मिलती है।
- इसका पाठ मंगलवार को करना चाहिए।
- सबसे पहले सुबह स्नान करके स्वच्छ कपडे पहने।
- लाल रंग के कपडे पहना शुभ माना जाता है।
- मंदिर में हनुमान जी की प्रतिमा के सामने लाल रंग का आसान बिछाए।
- हनुमान जी को तिलक लगाए और हनुमान जी पर पुष्प चढ़ाए।
- हनुमान जी के सामने घी का दीपक जलाए।
- फिर श्री मारुती स्तोत्र का पाठ आरम्भ करे।
मारुती स्तोत्र (Maruti Stotra) किसने रचा था?
श्री मारुती स्तोत्र का पाठ समर्थ रामदास जी ने रचा था। पहला स्तोत्र मराठी में उपलब्ध है।
मारुती स्तोत्र (Maruti Stotra) कब करना चाहिए?
श्री मारुती स्तोत्र का पाठ मंगलवार के दिन करना चाहिए
मारुती स्तोत्र का मंत्र (Maruti Stotra)
॥ श्रीगणेशाय नम: ॥
ॐ नमो भगवते विचित्रवीरहनुमते प्रलयकालानलप्रभाप्रज्वलनाय ।
प्रतापवज्रदेहाय । अंजनीगर्भसंभूताय ।
प्रकटविक्रमवीरदैत्यदानवयक्षरक्षोगणग्रहबंधनाय ।
भूतग्रहबंधनाय । प्रेतग्रहबंधनाय । पिशाचग्रहबंधनाय ।
शाकिनीडाकिनीग्रहबंधनाय । काकिनीकामिनीग्रहबंधनाय ।
ब्रह्मग्रहबंधनाय । ब्रह्मराक्षसग्रहबंधनाय । चोरग्रहबंधनाय ।
मारीग्रहबंधनाय । एहि एहि । आगच्छ आगच्छ । आवेशय आवेशय ।
मम हृदये प्रवेशय प्रवेशय । स्फुर स्फुर । प्रस्फुर प्रस्फुर । सत्यं कथय ।
व्याघ्रमुखबंधन सर्पमुखबंधन राजमुखबंधन नारीमुखबंधन सभामुखबंधन
शत्रुमुखबंधन सर्वमुखबंधन लंकाप्रासादभंजन । अमुकं मे वशमानय ।
क्लीं क्लीं क्लीं ह्रुीं श्रीं श्रीं राजानं वशमानय ।
श्रीं हृीं क्लीं स्त्रिय आकर्षय आकर्षय शत्रुन्मर्दय मर्दय मारय मारय
चूर्णय चूर्णय खे खे श्रीरामचंद्राज्ञया मम कार्यसिद्धिं कुरु कुरु ॐ हृां हृीं ह्रूं ह्रैं ह्रौं ह्रः फट् स्वाहा
विचित्रवीर हनुमत् मम सर्वशत्रून् भस्मीकुरु कुरु ।
हन हन हुं फट् स्वाहा ॥
एकादशशतवारं जपित्वा सर्वशत्रून् वशमानयति नान्यथा इति ॥
॥ इति श्रीमारुतिस्तोत्रं संपूर्णम् ॥
मारुति स्तोत्र इन हिंदी लिरिक्स| Maruti Stotra in Hindi
भीमरूपी महारुद्रा वज्र हनुमान मारुती ।
वनारी अन्जनीसूता रामदूता प्रभंजना ॥१॥
महाबळी प्राणदाता सकळां उठवी बळें ।
सौख्यकारी दुःखहारी दूत वैष्णव गायका ॥२॥
दीननाथा हरीरूपा सुंदरा जगदंतरा ।
पातालदेवताहंता भव्यसिंदूरलेपना ॥३॥
लोकनाथा जगन्नाथा प्राणनाथा पुरातना ।
पुण्यवंता पुण्यशीला पावना परितोषका ॥४॥
ध्वजांगें उचली बाहो आवेशें लोटला पुढें ।
काळाग्नि काळरुद्राग्नि देखतां कांपती भयें ॥५॥
ब्रह्मांडें माइलीं नेणों आंवाळे दंतपंगती ।
नेत्राग्नी चालिल्या ज्वाळा भ्रुकुटी ताठिल्या बळें ॥६॥
पुच्छ तें मुरडिलें माथां किरीटी कुंडलें बरीं ।
सुवर्ण कटि कांसोटी घंटा किंकिणि नागरा ॥७॥
ठकारे पर्वता ऐसा नेटका सडपातळू ।
चपळांग पाहतां मोठें महाविद्युल्लतेपरी ॥८॥
कोटिच्या कोटि उड्डाणें झेंपावे उत्तरेकडे ।
मंदाद्रीसारखा द्रोणू क्रोधें उत्पाटिला बळें ॥९॥
आणिला मागुतीं नेला आला गेला मनोगती ।
मनासी टाकिलें मागें गतीसी तूळणा नसे ॥१०॥
अणूपासोनि ब्रह्मांडाएवढा होत जातसे ।
तयासी तुळणा कोठें मेरु- मांदार धाकुटे ॥११॥
ब्रह्मांडाभोंवते वेढे वज्रपुच्छें करूं शके ।
तयासी तुळणा कैंची ब्रह्मांडीं पाहतां नसे ॥१२॥
आरक्त देखिले डोळां ग्रासिलें सूर्यमंडळा ।
वाढतां वाढतां वाढे भेदिलें शून्यमंडळा ॥१३॥
धनधान्य पशुवृद्धि पुत्रपौत्र समग्रही ।
पावती रूपविद्यादि स्तोत्रपाठें करूनियां ॥१४॥
भूतप्रेतसमंधादि रोगव्याधि समस्तही ।
नासती तुटती चिंता आनंदे भीमदर्शनें ॥१५॥
हे धरा पंधराश्लोकी लाभली शोभली बरी ।
दृढदेहो निःसंदेहो संख्या चंद्रकला गुणें ॥१६॥
रामदासीं अग्रगण्यू कपिकुळासि मंडणू ।
रामरूपी अन्तरात्मा दर्शने दोष नासती ॥१७॥
॥इति श्री रामदासकृतं संकटनिरसनं नाम ॥
॥ श्री मारुति स्तोत्रम् संपूर्णम् ॥