नमस्कार भक्तजनों… जब भी हम भगवान श्री हनुमान जी की पूजा करते हैं, तो हमें Hanuman Aarti की जरूरत पड़ती है। आज हम आपके लिए हनुमान आरती का पीडीएफ लेकर आए हैं। जिसको आप अपने मोबाइल में डाउनलोड भी कर सकते हैं।
भक्तजनों भगवान श्री हनुमान जी को संकट मोचन भी कहा जाता है। यानी से सभी प्रकार के संकटों को दूर करते हैं। ऐसे में अगर आप पूरे मन हनुमान जी की आरती और पूजा करेंगे तो वे आप प्रसन्न होंगे और आपके सारे कष्टों को दूर करेंगे।
Contents
Hanuman Aarti Details
PDF Name | Hanuman Aarti | हनुमान जी की आरती |
No of page | 1 |
Language | Hindi | हिंदी |
Categary | Aarti | आरती |
Download link | Click Here |
Website | bacpl.org |
इस आलेख में मैं आपको Hanuman Aarti की पीडीएफ डाउनलोड करने के लिए डायरेक्ट लिंक प्रदान करुंगा, जिसको आप अपने लैपटाप या मोबाइल पर डाउनलोड कर सकते हैं। नीचे दिए गए लिंक से हनुमान जी की आरती की पीडीएफ प्राप्त कर सकते हैं।
हनुमान चालीसा भी सभी संकटो को दूर करने वाला है। भगवान श्रीराम के परम भक्त हनुमान जी को आज भी अमर माना जाता है। मान्यता के अनुसार जब भी कहीं पर भी भगवान श्रीराम की कथा होती है, हनुमान जी वहां पर होते हैं।
Hanuman Aarti से होंगे कष्ट दूर
हनुमान जी के भक्तों की पीड़ा दूर करने से उन्हें संकटमोचन का नाम भी दिया गया है। मंगलवार के दिन हनुमान की पूजा और व्रत रखने से हनुमानजी जल्द प्रसन्न हो जाते हैं। हनुमानजी की पूजा के बाद कपूर जलाकर आरती करना बहुत ही शुभ माना जाता है।
हनुमान जी की पूजा-अर्चना रोज करने से नकारात्मक शक्तियों का नाश होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार जो प्रतिदिन भक्ति पूर्वक हनुमान की आरती पढ़ता है, हनुमान जी की उसकी सदैव रक्षा करते हैं। उसे कोई भी संकट छू नहीं पाता है।
Hanuman Aarti की सही विधि
- प्रतिदिन या फिर मंगलवार और शनिवार को सुबह और शाम के समय में हनुमान जी की आरती करनी चाहिए।
- यदि आप सुबह आरती नहीं कर सकते हैं तो प्रदोष काल में आरती करें। यहां प्रदोष का अर्थ है जब सूर्य ढल रहा हो और शाम होने वाली हो।
- आरती के लिए घी का दीपक जला लें।
- फिर आरती का प्रारंभ शंख ध्वनि से करें। शंख कम से कम तीन बार बजाएं।
- आरती के समय घंटी भी बजानी चाहिए।
- आरती का उच्चारण शुद्ध होना चाहिए।
- आरती के लिए आप घी के दीपक या फिर कपूर का भी उपयोग कर सकते हैं।
ऐसे करें Hanuman Aarti का प्रारंभ
आरती का प्रारंभ रामचरितमानस के सुंदरकांड के इस मंत्र से करें। इस मंत्र में पवनपुत्र हनुमान जी की वंदना और गुणगान किया गया है।
हनुमान मंत्र
अतुलितबलधामं हेमशैलाभदेहम् दनुजवनकृशानुं ज्ञानिनामग्रगण्यम्।
सकलगुणनिधानं वानराणामधीशम् रघुपतिप्रियभक्तं वातजातं नमामि।।
हनुमान जी की आरती लिरिक्स
आरती कीजै हनुमान लला की।
दुष्ट दलन रघुनाथ कला की॥
जाके बल से गिरिवर कांपे।
रोग दोष जाके निकट न झांके॥
अंजनि पुत्र महाबल दाई।
सन्तन के प्रभु सदा सहाई॥
दे बीरा रघुनाथ पठाए।
लंका जारि सिया सुधि लाए॥
लंका सो कोट समुद्र-सी खाई।
जात पवनसुत बार न लाई॥
लंका जारि असुर संहारे।
सियारामजी के काज सवारे॥
लक्ष्मण मूर्छित पड़े सकारे।
आनि संजीवन प्राण उबारे॥
पैठि पाताल तो रिजम-कारे।
अहिरावण की भुजा उखारे॥
बाएं भुजा असुर दल मारे।
दाहिने भुजा संतजन तारे॥
सुर नर मुनि आरती उतारें।
जय जय जय हनुमान उचारें॥
कंचन थार कपूर लौ छाई।
आरती करत अंजना माई॥
जो हनुमानजी की आरती गावे।
बसि बैकुण्ठ परम पद पावे॥
लंक विध्वंस किये रघुराई।
तुलसीदास स्वामी कीर्ति गाई ॥
आरती कीजै हनुमान लला की।
दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ॥
Hanuman Aarti के बाद कर्पूरगौरं मंत्र
हनुमान जी की आरती का समापन कर्पूरगौरं मंत्र से किया जाता है। इसके बाद हनुमान जी की जयकारा लगाएं। यह है मंत्र
कर्पूरगौरं करुणावतारं संसारसारं भुजगेन्द्रहारम्।
सदा बसन्तं हृदयारविन्दे भवं भवानीसहितं नमामि।।
