अक्षय तृतीया व्रत कथा Free | Akshaya Tritiya Katha PDF

नमस्कार भक्तजनों… अक्षय तृतीया व्रत (Akshaya Tritiya) के दिन लोग सोने की खरीदारी करते हैं, ताकि उन्हें समृद्धि मिले। लेकिन इस दिन पूजा-पाठ करने के बाद अक्षय तृतीया की कथा भी सुननी चाहिए।

इस आलेख में मैं आपको अक्षय तृतीया की कथा पीडीएफ उपलब्ध कराउंगा। ताकि आप अपने मोबाइल या कंप्यूटर में इसे डाउनलोड कर पूजा के दौरान कथा का पाठ कर सकें।

Akshaya Tritiya व्रत कथा पीडीएफ

PDF NameAkshaya Tritiya Katha/ अक्षय तृतीया कथा
No of Page2
Size0.74 MB
LauguageHindi/ हिंदी
Categary Katha/ Religion
Websitebacpl.org
Akshay Tritiya Katha

अक्षय तृतीया (Akshaya Tritiya) व्रत कथा के बारे में

हिंदू पंचांग के अनुसार वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को अक्षय तृतीया (Akshaya Tritiya) के रूप में मनाते हैं। शास्त्रों के अनुसार, इस तिथि को साल की सबसे अबूझ मुहूर्तों में से एक माना जाता है। इसे आखा तीज के नाम से भी जाना जाता है।

इस दिन किए गए सभी कार्यों का शुभ फल मिलता है। इसलिए इस दिन मांगलिक कार्य, शुभ काम अच्छा माना जाता है। इस साल अक्षय तृतीया के दिन ग्रहों का अच्छा संयोग बन रहा है।

इस दिन सोने-चांदी आदि की खरीदारी करना अच्छा माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, आखा तीज के दिन स्नान दान करने का भी महत्व है।

अक्षय तृतीया, जिसे अकती या आखा तीज के नाम से भी जाना जाता है। मांडा एक वार्षिक हिंदू और जैन वसंत त्योहार है। यह वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को पड़ता है।

इस दिन किसी भी नए काम को करने के लिए किसी भी पंचांग को देखने की कोई आवश्यकता नहीं पड़ती है। अक्षय तृतीया का पूरा दिन शुभ और मांगलिक कार्यों के लिए उत्तम हो।

अक्षय तृतीया व्रत कथा PDF | Akshaya Tritiya Vrat Katha in Hindi

प्राचीन काल में एक धर्मदास नामक वैश्य था। धर्मदास अपने परिवार के साथ एक छोटे से गांव में रहता था। वह बहुत ही गरीब था।

वह हमेशा अपने परिवार के भरण-पोषण के लिए चिंतित रहता था। उसके परिवार में कई सदस्य थे। धर्मदास बहुत धार्मिक प्रवृत्ति का व्यक्ति था। उसका भगवान के प्रति उसकी श्रद्धा प्रसिद्ध थी।

अक्षय तृतीया (Akshaya Tritiya) व्रत के महात्म्य को सुनने के पश्चात उसने अक्षय तृतीया पर्व के आने पर सुबह जल्दी उठकर गंगा में स्नान करके विधिपूर्वक देवी-देवताओं की पूजा की।

व्रत के दिन जल से भरे घड़े, पंखे, जौ, सत्तू, चावल, नमक, गेंहू, गुड़, घी, दही, सोना तथा वस्त्र आदि वस्तुएं भगवान के चरणों में रख कर ब्राह्मणों को अर्पित किया।

यह सब दान देखकर धर्मदास के परिवार वाले और उसकी पत्नी ने उसे रोकने की कोशिश की। उन्होने कहा कि अगर धर्मदास इतना सब कुछ दान में दे देगा, तो उसके परिवार का पालन-पोषण कैसे होगा।

फिर भी धर्मदास अपने दान और पुण्य कर्म से विचलित नहीं हुआ और उसने ब्राह्मणों को कई प्रकार का दान दिया। जब भी अक्षय तृतीया का पर्व आया, हर बार धर्मदास ने पूजा एवं दान आदि कर्म किया।

अनेक रोगों से ग्रस्त तथा वृद्ध होने के उपरांत भी उसने उपवास करके धर्म-कर्म और दान पुण्य किया। यही वैश्य दूसरे अगले जन्म में कुशावती के राजा हुए।

मान्यता के अनुसार अक्षय तृतीया के दिन किए गए दान-पुण्य व पूजन के कारण वह अपने अगले जन्म में बहुत धनी एवं प्रतापी राजा बना।

वह इतना धनी और प्रतापी राजा था कि त्रिदेव तक उसके दरबार में अक्षय तृतीया के दिन ब्राह्मण का वेष धारण करके उसके महायज्ञ में शामिल होते थे।

अपनी श्रद्धा और भक्ति का उसे कभी घमंड नहीं हुआ। वह प्रतापी राजा महान एवं वैभवशाली होने के बावजूद भी धर्म मार्ग से कभी विचलित नहीं हुआ।

कहा जाता है कि यही राजा आगे के जन्मों में भारत के प्रसिद्ध सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य के रूप में पैदा हुए थे।

जैसे भगवान ने धर्मदास पर अपनी कृपा की। वैसे ही जो भी व्यक्ति इस अक्षय तृतीया की कथा का महत्त्व सुनता है और विधि विधान से पूजा एवं दान आदि करता है, उसे अक्षय पुण्य एवं यश की प्राप्ति होती है।

Akshaya Tritiya व्रत पर हमें क्या करना चाहिए?

अक्षय तृतीया के दिन को नए उद्यम शुरू करने, निवेश करने और सोने और संपत्ति की खरीदारी के लिए आदर्श माना जाता है। संस्कृत में “अक्षय” शब्द का अर्थ है “कभी कम न होने वाला”। यह माना जाता है कि इस दिन अच्छे कर्म करने से अनंत समृद्धि और आशीर्वाद प्राप्त होता है।

Akshaya Tritiya व्रत क्यों मनाया जाता है?

भारत में हिंदुओं और जैनियों द्वारा एक शुभ दिन के रूप में मनाया जाता है। यह “असीमित समृद्धि के तीसरे दिन” का प्रतीक है। अक्षय तृतीया को भारत और नेपाल के कई क्षेत्रों में हिंदुओं और जैनियों द्वारा नए उद्यमों, विवाह, दान के लिए शुभ माना जाता है।

Akshaya Tritiya व्रत के दिन क्या नहीं करना चाहिए?

अक्षय तृतीया पर जुआ, अत्याचार, चोरी, लूट, धूर्तता, अनाचार तथा किसी को आत्मा को दुखाने जैसे कार्य ना करें। क्योंकि इन पापों का कर्मफल भी बुरा ही मिलता है। इस दिन किए गए पाप हमारे हर जन्म में पीछा करता है। इससे माता लक्ष्मी रूठ जाती हैं। इस दिन सिर्फ अच्छे कर्म ही करने चाहिए।

Akshaya Tritiya व्रत शुभ दिन है?

अक्षय तृतीया का दिन सौभाग्य, सफलता और सौभाग्य का प्रतीक है । अक्षय तृतीया का त्यौहार नए व्यवसाय शुरू करने, निवेश करने और सोना और अचल संपत्ति खरीदने के लिए अत्यधिक भाग्यशाली माना जाता है।

अक्षय तृतीया व्रत पर किसकी पूजा की जाती है?

अक्षय तृतीया के दिन माता लक्ष्मी, भगवान श्री गणेश और धनपति कुबेर की पूजा की जाती हैं।

अक्षय तृतीया पर हिंदू सोना क्यों खरीदते हैं?

कथा के अनुसार, इसी दिन भगवान कुबेर को स्वर्ग के धन का संरक्षक बनाया गया था। भक्तों का मानना ​​है कि अक्षय तृतीया पर सोना खरीदने और भगवान कुबेर की पूजा करने से उनके परिवार में समृद्धि आएगी। लोगों का यह भी मानना ​​है कि इस दिन दान करने से समृद्धि प्राप्त होती है।

अक्षय तृतीया व्रत के दिन पूजा घर पर कैसे करें?

पूजा के दौरान भगवान विष्णु को चंदन, फूल, अगरबत्ती और तुलसी और देवी लक्ष्मी को एक कमल चढ़ाएं। दूध, चावल या दाल जैसी सामग्री के साथ घर पर भोग (नैवेद्य) तैयार करें। इसे देवताओं को अर्पित करें। परिवार के सदस्यों के साथ घर में ही आरती करें। प्रसाद को सभी सदस्यों में बांट दें।

अक्षय तृतीया व्रत के दिन लोग क्या खरीदते हैं?

अक्षय तृतीया एक शुभ तिथि है इस दौरान लोग इस विश्वास के साथ सोना और संपत्ति खरीदते हैं कि यह धन और सौभाग्य को आकर्षित करेगा।


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