नमस्कार भक्तजनों… हम आपके लिए आज श्री बजरंग बाण पीडीएफ (Bajrangban PDF) लेकर आएंगे, क्योंकि जब हम भगवान श्री हनुमान यानी बजरंग बली का पाठ करते हैं, तो आपको बजरंग बाण पीडीएफ की जरूरत पड़ती है।
अगर आप भी भगवान हनुमान जी के परम भक्त हैं, तो आपको बल, बुद्धि, विद्या और सुख समृद्धि की प्राप्ति होगी। क्योंकि जब हनुमान जी माता सीता का पता लगाने लंका पहुंचे थे, तो माता सीता ने उनके बल और बुद्धि देखकर अमर होने का आशीर्वाद दिया था।
Contents
बजरंग बाण का संक्षिप्त परिचय
PDF Name | बजरंग बाण PDF |
PDF Category | Religion | धार्मिक |
Language | Hindi | हिंदी |
Source | Multiple Sources |
Website | bacpl.org |
बजरंग बाण | Bajrang ban
मान्यता के अनुसार आज भी भगवान श्री हनुमान जीवित हैं। हनुमान जी भगवान श्रीराम के परम भक्त थे। रामजी भी हनुमान के बिना अधुरे थे। सुंदरकांड में प्रभु श्रीराम जी कहते हैं कि हे हनुमान इस समय तुम्हारे जैसे सहायक कोई पूरे ब्रह्मांड में कोई नहीं है। तुम्हारा उपकार मैं कभी भी उतार नहीं पाउंगा। यह प्रसंग तब आता है, जब हनुमान जी माता सीता का पता प्रभु श्रीराम को बताते हैं।
बजरंग का पाठ कब करें
बजरंग बाण का पाठ बहुत शक्तिशाली माना जाता है। नियमानुसार इसका पाठ करने का उद्देश्य किसी विशेष कार्य को सिद्ध करने के लिए किया जाता है। बाण का अर्थ है निर्धारित लक्ष्य को प्राप्त करना। इसलिए बजरंग बाण का पाठ तभी करना चाहिए जब सारी परिस्थितियां आपके विरुद्ध हो जाएं और कोई हल नजर ना आए तो इस पाठ के करने से हनुमान जी की विशेष कृपा मिलती है और आपके सब दुख दूर होते हैं।
बजरंग बाण के फायदे
- कार्य में आ रही बाधाओं को दूर करने
- सफलता प्राप्त करने के लिए
- दुश्मनों पर जीत हासिल करने के लिए
- भय, रोग, दोष से छुटकारा पाने के लिए
बजरंग बाण पाठ करने की विधि
- मंगलवार या शनिवार को निमित्त इच्छाओं की पूर्ति के लिए बजरंग बाण के पाठ का संकल्प लें।
- सूर्योदय से पहले स्नान के बाद हनुमान जी के प्रिय रंग लाल या नारंगी रंग के वस्त्र पहनें।
- हनुमान जी की तस्वीर के समक्ष घी का दीपक जलाएं।
- बजरंग बाण का पाठ कुश के आसन पर बैठकर करें।
- ये पाठ शुद्ध उच्चारण के साथ और एक बार में ही पूरा करने का विधान है.
श्री बजरंग बाण का पाठ इन हिंदी लिरिक्स
दोहा :
निश्चय प्रेम प्रतीति ते, बिनय करैं सनमान।
तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्ध करैं हनुमान॥
चौपाई :
जय हनुमंत संत हितकारी। सुन लीजै प्रभु अरज हमारी॥
जन के काज बिलंब न कीजै। आतुर दौरि महा सुख दीजै॥
जैसे कूदि सिंधु महिपारा। सुरसा बदन पैठि बिस्तारा॥
आगे जाय लंकिनी रोका। मारेहु लात गई सुरलोका॥
जाय बिभीषन को सुख दीन्हा। सीता निरखि परमपद लीन्हा॥
बाग उजारि सिंधु महँ बोरा। अति आतुर जमकातर तोरा॥
अक्षय कुमार मारि संहारा। लूम लपेटि लंक को जारा॥
लाह समान लंक जरि गई। जय जय धुनि सुरपुर नभ भई॥
अब बिलंब केहि कारन स्वामी। कृपा करहु उर अंतरयामी॥
जय जय लखन प्रान के दाता। आतुर ह्वै दुख करहु निपाता॥
जै हनुमान जयति बल-सागर। सुर-समूह-समरथ भट-नागर॥
ॐ हनु हनु हनु हनुमंत हठीले। बैरिहि मारु बज्र की कीले॥
ॐ ह्नीं ह्नीं ह्नीं हनुमंत कपीसा। ॐ हुं हुं हुं हनु अरि उर सीसा॥
जय अंजनि कुमार बलवंता। शंकरसुवन बीर हनुमंता॥
बदन कराल काल-कुल-घालक। राम सहाय सदा प्रतिपालक॥
भूत, प्रेत, पिसाच निसाचर। अगिन बेताल काल मारी मर॥
इन्हें मारु, तोहि सपथ राम की। राखु नाथ मरजाद नाम की॥
सत्य होहु हरि सपथ पाइ कै। राम दूत धरु मारु धाइ कै॥
जय जय जय हनुमंत अगाधा। दुख पावत जन केहि अपराधा॥
पूजा जप तप नेम अचारा। नहिं जानत कछु दास तुम्हारा॥
बन उपबन मग गिरि गृह माहीं। तुम्हरे बल हौं डरपत नाहीं॥
जनकसुता हरि दास कहावौ। ताकी सपथ बिलंब न लावौ॥
जै जै जै धुनि होत अकासा। सुमिरत होय दुसह दुख नासा॥
चरन पकरि, कर जोरि मनावौं। यहि औसर अब केहि गोहरावौं॥
उठु, उठु, चलु, तोहि राम दुहाई। पायँ परौं, कर जोरि मनाई॥
ॐ चं चं चं चं चपल चलंता। ॐ हनु हनु हनु हनु हनुमंता॥
ॐ हं हं हाँक देत कपि चंचल। ॐ सं सं सहमि पराने खल-दल॥
अपने जन को तुरत उबारौ। सुमिरत होय आनंद हमारौ॥
यह बजरंग-बाण जेहि मारै। ताहि कहौ फिरि कवन उबारै॥
पाठ करै बजरंग-बाण की। हनुमत रक्षा करै प्रान की॥
यह बजरंग बाण जो जापैं। तासों भूत-प्रेत सब कापैं॥
धूप देय जो जपै हमेसा। ताके तन नहिं रहै कलेसा॥
दोहा :
उर प्रतीति दृढ़, सरन ह्वै, पाठ करै धरि ध्यान।
बाधा सब हर, करैं सब काम सफल हनुमान॥